मोहब्ब्त के कई नाम होते हैं. मां-बाप की बेटे के लिये, बेटे की मां-बाप के लिये,बहन की भाई के लिये,भाई की बहन के लिये, इसमें कहीं भी एक रिश्ता नहीं आया ऒर वो रिश्ता है बहू का और सास का.
ज़्यादतर सास ही बहू को तथाकथित "मोहब्ब्त" करतीं हैं और सास यह कहतीं है कि बहू मुझसे प्यार नहीं करती.
ये हाल एक और रिश्ते क है वो रिश्ता है नन्द और भाभी का.
मैं जो किस्सा आप लोगों को सुनाने जा रहा हूं वो कुछ इस तरह का ही है, जिस किस्से में एक भरा-पुरा घर है मां हैं, पिता हैं, दो भाई हैं और तीन बहनें हैं, सभी ने ज़िन्दगी हंस खेल कर काटी है. लड. झगड कर काटी है.
Monday, January 14, 2008
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