Friday, August 17, 2007

आगे की गाथा

उस के बाद हम मित्र बन गये और दोनो ही उस लड्की के बराबर मे बैठने लगे
फ़िर वो लडका जिसका नाम मनोज कन्नौजिया था मुझे प्यार करना सिखाने लगा
और जैसा रेहाना करती थी वैसा ही मुझे करने को कहता था
धीरे धीरे रेहाना के दिल मे भी प्यार जागने लगा
और हम एक दूसरे का खाना खाने लगे

Monday, August 13, 2007

बल्कि मै यह चाह्ता था कि वो लडका उस के पास नही बैठे.
यह सिलसिला यू ही चलता रहा एक दिन उस लडके ने उसके साथ कुछ ऐसा कर दिया जो मुझे गवारा नही था मैने उस की जम कर धुनाई कर दी हंगामा सुनते ही सारी क्लास इकट्ठी हो गई और मेम भी आ गई
उन्होने हम लोगो को अलग अलग कर दिया और क्लास मे भेज दिया