उस के बाद हम मित्र बन गये और दोनो ही उस लड्की के बराबर मे बैठने लगे
फ़िर वो लडका जिसका नाम मनोज कन्नौजिया था मुझे प्यार करना सिखाने लगा
और जैसा रेहाना करती थी वैसा ही मुझे करने को कहता था
धीरे धीरे रेहाना के दिल मे भी प्यार जागने लगा
और हम एक दूसरे का खाना खाने लगे
Friday, August 17, 2007
Monday, August 13, 2007
बल्कि मै यह चाह्ता था कि वो लडका उस के पास नही बैठे.
यह सिलसिला यू ही चलता रहा एक दिन उस लडके ने उसके साथ कुछ ऐसा कर दिया जो मुझे गवारा नही था मैने उस की जम कर धुनाई कर दी हंगामा सुनते ही सारी क्लास इकट्ठी हो गई और मेम भी आ गई
उन्होने हम लोगो को अलग अलग कर दिया और क्लास मे भेज दिया
यह सिलसिला यू ही चलता रहा एक दिन उस लडके ने उसके साथ कुछ ऐसा कर दिया जो मुझे गवारा नही था मैने उस की जम कर धुनाई कर दी हंगामा सुनते ही सारी क्लास इकट्ठी हो गई और मेम भी आ गई
उन्होने हम लोगो को अलग अलग कर दिया और क्लास मे भेज दिया
Saturday, August 11, 2007
मै और वो दोनो साथ साथ ही बैठते थे, लेकिन हम दोनो के बीच मे एक लडका बैठा करता था वो बहुत चालू था. मै नही चाह्ता था कि वो लडका हमारे बीच मे बैठे और बल्कि
Friday, August 10, 2007
मेरी प्रेम गाथा
जब मै स्कूल जाता मे था
मै केजी क्लास मे था
एक लडकी जिसका नाम रेहाना वज़ाहर था वो मेरे पास ही बैठती थी
मै केजी क्लास मे था
एक लडकी जिसका नाम रेहाना वज़ाहर था वो मेरे पास ही बैठती थी
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